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जुगनू और सांप:-

अच्छी कहानी है, बहुत ही प्रेरणादायक है, आपको अवश्य पढ़ना चाहिए और जीवन में इसकी शिक्षा का उपयोग करना चाहिए, फायदे में रहेंगे।

जुगनू और सांप ये मात्र एक कहानी नही आज की सच्चाई हैं
कहानी कलयुग की

हम सब जानते हैं कि जुगनू जब तक जिंदा रहता है, तब तक चमकता है, रौशनी फैलाता है। एक दिन एक साँप एक जुगनू का पीछा करने लगा।
सांप को पीछा करते देख जुगनू घबरा गया, उसे थोड़ा अजीब भी लगा। डर की वजह से जुगनू तेज़ी से उड़ने लगा। यह देखकर सांप भी तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ने लगा।
एक समय जुगनू को लगा कि सांप उसका पीछा नहीं छोड़ेगा और उसे खा जायेगा। स्थिति को भांपकर, जुगनू रुक गया।

जुगनू ने सांप से कहा: “क्या मैं आपसे तीन प्रश्न पूछ सकता हूँ?”
साँप ने कहा: हाँ, बिलकुल।

जुगनू: क्या आप जिस तरह के जीव खाते हो, मैं उनमें से एक हूँ?
साँप ने कहा: नहीं।

जुगनू ने दूसरा प्रश्न पुछा: क्या मैंने तुम्हारा कुछ नुकसान किया है?
साँप ने कहा: नहीं।

जुगनू ने तीसरा और आखरी प्रश्न पुछा: फिर तुम मुझे क्यों निगलना चाहते हो?
साँप ने उत्तर दिया: क्योंकि मैं तुम्हें चमकते हुए नहीं देख सकता। तुम्हारी चमक तुम्हे खास बनाती हैं, दूसरो से खास बनाती हैं इसलिए मुझे तुम पसंद नहीं….

इस कहानी से ये बात स्पष्ट है कि जब तक आप कामयाब नहीं है, जब तक आप उनसे पीछे है…. तब तक उन्हें आपसे कोई सरोकार नहीं…जैसे ही आप कुछ कामयाब होंगे तब आपको जीवन में ऐसे लोग मिलेंगे जिनका आपसे कोई संबंध नहीं, जिनका आपने कुछ नहीं बिगाड़ा लेकिन वो आपको चमकते हुए, कामयाब होते हुए, ऊँचा जाते हुए, नहीं देख सकते।

ताल्लुक़ कौन रखता है किसी नाकाम से लेकिन,
मिले जो कामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं ।
मेरी खूबी पे रहते हैं यहां अहल-ए-ज़बां ख़ामोश,
मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो गूंगे भी बोल पड़ते है ।

कुछ लोग सांप की तरह आपको नष्ट करने का प्रयास करेंगे, यदि चमकते रहना है तो आपके आसपास के सांपो को पहचानना होगा, उनसे उचित दूरी बनानी होगी क्यूंकि दुष्ट का आचरण आप बदल नही सकते, बल्कि खुद को इतना धैर्यशील औऱ सचेत औऱ परिश्रमी बनाओ ताकि इन सब से आपका बचाव हो सके….

जीवन में सभी नकारात्मक विचार एवं पीछे धकेलने वाले सभी कारणों से अपने आप को अलग कर, सकारात्मक उर्जा से आगे बढे.. इसी के लिए किसी ने कहा है कि

जंग में जो घाव खाता है उसी का मान होता है,
छिपा हुआ उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौडे की,
वही पाषाण मंदिर में एक दिन भगवान होता है |

बहुत बहुत धन्यवाद !

SHRI

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