ऐसा नहीं कि राह में रहमत नहीं रही.
पैरो को तेरे चलने की आदत नहीं रही.
कश्ती है तो किनारा दूर नहीं है,
अगर तेरे इरादों में बुलंदी बनी रही|
बुलबुल के परो में बाज नहीं होते.
बुजदिलों के हाथो में राज नहीं होते.
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत,
दोस्तों, उनके सरो पर कभी ताज नहीं होते.
हर एक पल पे तेरा ही नाम होगा.
तेरे हर कदम पे दुनिया को सलाम होगा.
मुस्किलो का सामना हिम्मत से करना,
फिर एक दिन वक़्त भी तेरा गुलाम होगा|
ताश के पत्तो से महल नहीं बनता.
नदी को रोक लेने से समंदर नहीं बनता.
बढ़ते रहो जिन्दगी में हर पल,
के एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता.
जंजीरे मुश्किलों की पिघल जायेगी, बस आग इरादों की जलने दीजे.
तारे जमीं पर आके हाथ मिलायेंगे, ख्यालों की उड़ान को बस जमी दीजे.
चिराग इन राहो के मंजिल तक ले जायेंगे, एक-एक कर हर काँटा तो अलग कीजे.
सूरज भी तेरा एक दिन चमकेगा, चाँद का आज अँधेरे में मजा लीजे.
मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही.
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं.
कौन पहुँचता है अपनी आखिरी मंजिल तक|
हर किसी के लिए थोडा आसमान बाकी है|
आपको अगर लगता हो आप उड़ने के काबिल नहीं,
लेकिन में जानता हूँ आपके पंखो में अभी उड़ान बाकी है|
नजर को बदलो तो नज़ारे बदल जायेंगे.
सोच को बदलो तो सितारे बदल जायेंगे.
कश्ती बदलने की जरुरत नहीं है मेरे दोस्त,
दिशाओं को बदलो तो किनारे बदल जायेंगे.
दुनिया का हर शौंक पाला नहीं जाता.
कांच के खिलोनो को उछाला नहीं जाता.
मेहनत करने से मुश्किलें हो जाती है आसान,
क्यूंकि हर काम तकदीरो पे टाला नहीं जाता.
कुछ कर के दिखा दिया, के काम बहुत है.
इस जन्हा में जीतने वाले मुकाम बहुत है.
मुक्कम्मल शक्श वही जो दुनिया को बदल डाले,
मर मिटने की सिर्फ बाते करने वाले यंहा नाम बहुत है.
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